गुरुवार, 12 सितंबर 2013

पुराणों के कृष्ण बनाम महाभारत के कृष्ण

पुराणों के कृष्ण बनाम महाभारत के कृष्ण

स्वामी दयानंद सरस्वती अपने अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में श्री कृष्ण
जी महाराज के बारे में लिखते हैं की पूरे महाभारत में श्री कृष्ण के चरित्र में
कोई दोष नहीं मिलता एवं उन्हें आपत पुरुष कहा हैं.स्वामी दयानंद श्री कृष्ण
जी को महान विद्वान सदाचारी, कुशल राजनीतीज्ञ एवं सर्वथा निष्कलंक
मानते हैं फिर श्री कृष्ण जी के विषय में चोर, गोपिओं का जार (रमण करने
वाला), कुब्जा से सम्भोग करने वाला, रणछोड़ आदि प्रसिद्द
करना उनका अपमान नहीं तो क्या हैं.श्री कृष्ण जी के चरित्र के विषय में
ऐसे मिथ्या आरोप का अधर क्या हैं? इन गंदे आरोपों का आधार हैंपुराण.
आइये हम सप्रमाण अपने पक्ष को सिद्ध करते हैं.
पुराण में गोपियों से कृष्ण का रमण करना ....??
विष्णु पुराण अंश ५ अध्याय १३ श्लोक ५९,६० में लिखा हैं,वे गोपियाँ अपने
पति, पिता और भाइयों के रोकने पर भी नहीं रूकती थी रोज रात्रि को वे
रति “विषय भोग” की इच्छा रखने वाली कृष्ण के साथ रमण “भोग”
किया करती थी. कृष्ण भी अपनी किशोर अवस्था का मान करते हुए रात्रि के
समय उनके साथ रमण किया करते थे.
कृष्ण उनके साथ किस प्रकार रमण करते थे पुराणों के रचियता ने श्री कृष्ण
को कलंकित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं. भागवत पुराण स्कन्द १०
अध्याय ३३ शलोक १७ में लिखा हैं -
कृष्ण कभी उनका शरीर अपने हाथों से स्पर्श करते थे, कभी प्रेम
भरी तिरछी चितवन से उनकी और देखते थे, कभी मस्त हो उनसे खुलकर
हास विलास ‘मजाक’ करते थे.जिस प्रकार बालक तन्मय होकर
अपनी परछाई से खेलता हैं वैसे ही मस्त होकर कृष्ण ने उन ब्रज सुंदरियों के
साथ रमण, काम क्रीरा ‘विषय भोग’ किया.
ऐसे अभद्र विचार कृष्णा जी महाराज कोकलंकित करने के लिए भागवत के
रचियता नें स्कन्द १० के अध्याय २९,३३ में वर्णित किये हैं
जिसका सामाजिक मर्यादा का पालन करते हुए मैं वर्णन नहीं कर रहा हूँ.
राधा और कृष्ण का पुराणों में वर्णन........??
राधा का नाम कृष्ण के साथ में लिया जाता हैं. महाभारत में राधा का वर्णन
तक नहीं मिलता. राधा का वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में अत्यंत अशोभनिय
वृतांत का वर्णन करते हुए मिलता हैं.
ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय ३ शलोक ५९,६०,६१,६२ में
लिखा हैं की गोलोक में कृष्ण की पत्नी राधा ने कृष्ण को पराई औरत के
साथ पकरलिया तो शाप देकर कहाँ – हे कृष्ण ब्रज के प्यारे , तू मेरे सामने
से चला जा तू मुझे क्यों दुःख देता हैं –हे चंचल , हे अति लम्पट कामचोर मैंने
तुझे जान लिया हैं. तू मेरे घर से चला जा. तू मनुष्यों की भांति मैथुन करने में
लम्पट हैं, तुझे मनुष्यों की योनी मिले, तू गौलोक से भारत में चला जा. हे
सुशीले, हे शाशिकले, हे पद्मावती, हे माधवों! यह कृष्ण धूर्त हैं इसे निकल
कर बहार करो, इसका यहाँ कोई काम नहीं.
ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय १५ में राधा का कृष्ण से रमण
का अत्यंत अश्लील वर्णन लिखा हैं जिसका सामाजिक मर्यादा का पालन
करते हुए में यहाँ विस्तार से वर्णन नहीं कर रहा हूँ.
राधा का कृष्ण के साथ सम्बन्ध भी भ्रामक हैं. राधा कृष्ण के बामांग से
पैदा होने के कारण कृष्ण की पुत्री थी अथवा रायण से विवाह होने से कृष्ण
की पुत्रवधु थी चूँकि गोलोक में रायणकृष्ण के अंश से पैदा हुआ था इसलिए
कृष्ण का पुत्र हुआ जबकि पृथ्वी पर रायण कृष्ण की माता यसोधा का भाई
था इसलिए कृष्ण का मामा हुआ जिससे राधा कृष्ण की मामी हुई.
कृष्ण की गोपिओं कौन थी..............?
पदम् पुराण उत्तर खंड अध्याय २४५ कलकत्ता से प्रकाशित में लिखा हैं
कीरामचंद्र जी दंडक -अरण्य वन में जब पहुचें तो उनके सुंदर स्वरुप
को देखकर वहां के निवासी सारे ऋषि मुनि उनसे भोग करने की इच्छा करने
लगे. उन सारे ऋषिओं ने द्वापर के अंत में गोपियों के रूप में जन्म लिया और
रामचंद्र जी कृष्ण बने तब उन गोपियोंके साथ कृष्ण ने भोग किया. इससे उन
गोपियों की मोक्ष हो गई. वर्ना अन्य प्रकार से उनकी संसार
रुपी भवसागर से मुक्ति कभी न होती.
क्या गोपियों की उत्पत्ति का दृष्टान्त बुद्धि से स्वीकार
किया जा सकता हैं.........?
श्री कृष्ण जी महाराज का वास्तविक रूप :अभी तक हम पुराणों में
वर्णित....गोपियों के दुलारे, राधा के पति, रासलीला रचाने वाले कृष्ण के
विषय में पढ़ रहे थे जो निश्चित रूप से असत्य हैं.
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अब हम योगिराज, निति निपुण , महान कूटनीतिज्ञ श्री कृष्ण जी महाराज
के विषय में उनके सत्य रूप को जानेगे.आनंदमठ एवं वन्दे मातरम के
रचियता बंकिम चन्द्र चटर्जी जिन्होंने ३६ वर्ष तक महाभारत पर
अनुसन्धान कर श्री कृष्ण जी महाराज पर उत्तम ग्रन्थ लिखा ने कहाँ हैं
की महाभारत के अनुसार श्री कृष्ण जी की केवल एक
ही पत्नी थी जो की रुक्मणी थी, उनकी २ या ३ या १६००० पत्नियाँ होने
का सवाल ही पैदा नहीं होता. रुक्मणी से विवाह के पश्चात श्री कृष्ण
रुक्मणी के साथ बदरिक आश्रम चले गए और १२ वर्ष तक तप एवं
ब्रहमचर्य का पालन करने के पश्चात उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम
प्रदुमनथा. यह श्री कृष्ण के चरित्र के साथ अन्याय हैं की उनका नाम
१६००० गोपियों के साथ जोड़ा जाता हैं.
महाभारत के श्री कृष्ण जैसा अलोकिक पुरुष , जिसे कोई पाप
नहीं किया और जिस जैसा इस पूरी पृथ्वी पर कभी-कभी जन्म लेता हैं.
स्वामी दयानद जी सत्यार्थ प्रकाश में वहीँ कथन लिखते हैं जैसा बंकिम
चन्द्र चटर्जी ने कहाँ हैं. पांड्वो द्वारा जब राजसूय यज्ञ
किया गया तो श्री कृष्ण जी महाराज को यज्ञ का सर्वप्रथम अर्घ प्रदान
करने के लिए सबसे ज्यादा उपर्युक्त समझा गया जबकि वहां पर अनेक
ऋषि मुनि , साधू महात्मा आदि उपस्थित थे.वहीँ श्री कृष्ण जी महाराज
की श्रेष्ठता समझे की उन्होंने सभी आगंतुक अतिथियो के धुल भरे पैर धोने
का कार्य भार लिया. श्रीकृष्ण जी महाराज को सबसे बड़ा कूटनितिज्ञ
भी इसीलिए कहा जाता हैं क्यूंकि उन्होंने बिना हथियार उठायेन केवल दुष्ट
कौरव सेना का नाश कर दिया बल्कि धर्म की राह पर चल रहे
पांडवो को विजय भी दिलवाई.
ऐसे महान व्यक्तित्व पर चोर, लम्पट, रणछोर, व्यभिचारी, चरित्रहीन ,
कुब्जा से समागम करने वाला आदि कहना अन्याय नहीं तो और क्या हैं और
इस सभीमिथ्या बातों का श्रेय पुराणों को जाता हैं.
इसलिए महान कृष्ण जी महाराज पर कोई व्यर्थ का आक्षेप न लगाये एवं
साधारणजनों को श्री कृष्ण जी महाराज के असली व्यक्तित्व को प्रस्तुत
करने के लिए पुराणों का बहिष्कार आवश्यक हैं और वेदों का प्रचार
आती आवश्यक हैं.
और फिर भी अगर कोई न माने तो उन पर यह लोकोक्ति लागु होती हैं-
जब उल्लू को दिन में न दिखे तो उसमें सूर्य का क्या दोष है?

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