मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

मुसलमान नकली नुत्फे की पैदायश ?

मुसलमान नकली नुत्फे की पैदायश ?

शिक्षा के महत्त्व से कोई भी व्यक्ति इंकार नहीं करता . क्योंकि शिक्षा से मनुष्य विनयशील ,और सभ्य बनता है . ऐसा भी माना जाता है कि जैसे जैसे कोई बालक या व्यक्ति जितनी अधिक शिक्षा प्राप्त करता जाता है ,वैसे ही उसके विचार और चरित्र में बुराइयां दूर होती जाती हैं .और ऐसे व्यक्ति किसी एक देश या जाति के लिए नहीं सम्पूर्ण विश्व की भलाई के लिए ही काम करते है ,
लेकिन यह नियम मूसलामानों पर लागु नहीं होता , क्योंकि ऐसे करोड़ों उदहारण है , कि मुसलमान जितने भी अधिक शिक्षित होते जाते हैं , उतने ही अधिक , उग्र , हिंसक ,अपराधी और आतंकवादी बनाते जाते हैं .इनकी मिसाल उस कार या स्कूटर की तरह है , जिसे जितना भी सुधरवाया जाता है , उतने ही ख़राब हो जाते हैं .और जब जाँच कराई जाती है , तो मैकेनिक कहता है " इनमे तो निर्माण सम्बन्धी दोष है (production defect"और इस कार या स्कूटर को सुधारना असंभव है .इसे तो कबाड़खाने में फेक देना चाहिए .क्योंकि इस कार या स्कूटर को बनाने के लिए जो भी पुर्जे लगाये गए हैं ,वह स्तर हीन ( below standard ) हैं . यही कारण है कि अफजल गुरु , और डेविड हेडली राणा जैसे सभी शिक्षित मसलमान कट्टर आतंकवादी पाए जाते है .क्योंकि इनकी पैदायश में ही खोट ( defect in manufacture ) है ,इस लेख में इसी रहस्य से पर्दा उठाया जा रहा है .और सभी तथ्य कुरान और हदीस से प्रमाणित हैं ,
1-मुसलमानों की फितरत समान है
फितरत अरबी शब्द है ,जिसे "फितरह  فطرة " भी बोला जाता है .हिंदी में इसके अर्थ स्वभाव ' प्रकृति ' या' वृत्ति ' होते हैं .और अंगरेजी में फितरत के अर्थ ‘disposition’nature’instinct’होते हैं .सभी मुसलमानों की फितरत बिलकुल एक जैसी होती है , यह इन हदीसों से साबित होता है ,
"अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने हमें बताया है ,कि जैसे ही मुसलमानों का बच्चा पैदा होता है .अल्लाह उसकी फितरत बना देता है . जो मरते समय तक वैसी ही बनी रहती है .और जिस से यहूदियों , ईसाइयों और मुसलमानों के बीच का फर्क पता चल जाता है "

حَدَّثَنَا زُهَيْرُ بْنُ حَرْبٍ، حَدَّثَنَا جَرِيرٌ، عَنِ الأَعْمَشِ، عَنْ أَبِي صَالِحٍ، عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، قَالَ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم ‏"‏ مَا مِنْ مَوْلُودٍ إِلاَّ يُلِدَ عَلَى الْفِطْرَةِ فَأَبَوَاهُ يُهَوِّدَانِهِ وَيُنَصِّرَانِهِ وَيُشَرِّكَانِهِ ‏"‏ ‏.‏ فَقَالَ رَجُلٌ يَا رَسُولَ اللَّهِ أَرَأَيْتَ لَوْ مَاتَ قَبْلَ ذَلِكَ قَالَ ‏"‏ اللَّهُ أَعْلَمُ بِمَا كَانُوا عَامِلِينَ ‏"‏ ‏.‏

Sahih Muslim, Book 033, Number 6426

"अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा है बिना फितरत के कोई मुस्लिम बच्चा पैदा नहीं होता , चाहे उसके अभिभावक उसे यहूदी , मजूसी , या ईसाई बनाने का प्रयत्न करें .जैसे तुम किसी जानवर के अंग काट दो उसकी फितरत वही रहेगी "
Sahih al-Bukhari, Volume 2, Book 23, Number 441

2-सभी मुसलमान नुत्फे से बने

दुसरे लोगों की तरह मुसलमान भी वीर्य यानि नुत्फे से पैदा हुए हैं , यह कुरान की इस आयत से प्रमाणित है ,

" निश्चय ही हमने मनुष्य को गीली मिट्टी के सत से बनाया ,फिर उसे सुरक्षित करके एक जगह टपकती हुई बूंद नुत्फे के रूप में रख लिया ,फिर उस नुत्फे को लोथड़े का रूप दे दिया .फिर उस लोथड़े को बोटी का रूप दे दिया .फिर् बोटियों से हड्डियां बनायी .फिर उन हड्डियों पर मांस चढ़ा दिया .फिर उसका बिलकुल दूसरा ही रूप देकर खडा कर दिया .तो देखो बरकत वाला अल्लाह ही सबसे उत्तम सृष्टिकर्ता है ." सूरा -अल मोमनीन 23:12 से 15 तक
(इस आयत से साफ पता चलता है कि दुसरे प्राणियों की तरह मुसलमानों का जन्म सबसे पहले वीर्य या नुत्फे से होता है .जो माँ के गर्भाशय में पल बढ़ कर बच्चे के रूप में जन्म लेता है .अर्थात बच्चे के जन्म का महत्त्वपूर्ण और मुख्य आधार " नुत्फा Sperm" ही है )
3-कुरान में वीर्य के नाम

सम्पूर्ण कुरान में वीर्य को 16 बार तीन विभिन्न नामों से उल्लेख किया गया है ,लेकिन कहीं भी वीर्य के "शुक्राणु Sperm" के बारे में कुछ नहीं लिखा है .इस से स्पष्ट होता है कि अल्लाह और उसके रसूल को वीर्य के बारे में तो ज्ञान था ,लेकिन वीर्य में होने वाले " शुक्राणुओं " के बारे में कोई ज्ञान नहीं था .कुरान में वीर्य के तीन नाम इस प्रकार हैं ,
1. -Nutfah" نطفة "कुरान में यह शब्द 12 बार आया है .और इस शब्द का प्रयोग करते हुए कुरान और हदीस में बताया है कि नुत्फे से ही मनुष्य पैदा होता है .नुत्फा शब्द कुरान की जिन सूरा और आयतों मौजूद है ,उनकी सूरा और आयत नंबर इस प्रकार हैं .nutfah: 16:4, 18:37, 22:5, 23:13, 23:14, 35:11, 36:77, 40:67, 53:46, 75:37, 76:2, 80:19.नुत्फा का अर्थ अरबी शब्द कोष में इस प्रकार बताया है , एक द्रव (liquid ) मना जाता है कि इसी से मनुष्य पैदा होता है

2.माअ-Maa" ماء  "कुरान में यह शब्द तीन बार आया है . वैसे इसका अर्थ पानी (water ) होता है . लेकिन कुरान में इसका अभिप्राय पुरुष और स्त्री के वीर्य से लिया गया है .(Water. Sometimes used for semen (male or female). यह शब्द कुरान में इस जगह आया है .(Used in this way in verses 32:8 and 77:20, and 86:6).
3.मनी- Maniyy" مني "यह शब्द कुरान में केवल एक ही बार आया है .और पुरुष या स्त्री के वीर्य (Male or female semen )के लिए प्रयुक्त किया गया है .सभी हदीसों में यह शब्द आयशा द्वारा मुहम्मद के  कपड़ों से वीर्य के धब्बे साफ़ करने के प्रसंग में आया है .( It is frequently used in hadith ,that Aisha used to clean semen off Muhammad’s clothes)यह शब्द कुरान की सूरा अल कियामा 75 की आयत 37 में आया है .
4-वीर्य के चालीस चरण
हदीसों के अनुसार वीर्य की बूंद को बच्चे के रूप में जन्म देने तक चालीस चरण (stages ) पूरा करने पड़ते हैं ,जो इन हदीसों में बताया है ,
"अबू तुफैल ने कहा कि एक बार मैं रसूल के घर गया , वहां अबू शरिया हुजैफा बिन उसैद अल गिफारी भी मौजूद थे। ,और सबके सामने रसूल ने बताया कि जब "नुत्फा " (वीर्य semen ) के माता के गर्भाशय में चालीस चरण ( 40 stages ) पूरे हो जाते हैं , यानि नुत्फा चालीस दिन रात गर्भाशय में पड़ा रहता है , तो एक फ़रिश्ता अन्दर घुस कर नुत्फा को ठीक आकार दे देता है ,और फ़रिश्ता वहीं पर तय कर देता है कि नुत्फा से लड़का बनाया जाए , या लड़की (male or female )"
सही मुस्लिम -किताब 33 हदीस 6394

यही बात कुछ अंतर से दूसरी हदीस में भी बतायी गयी है ,
सही मुस्लिम-किताब 33 हदीस 6395

5-बच्चों में पैतृक समरूपता
इस बात को विज्ञान भी स्वीकार करता है कि संतान पैदा करने में वीर्य यानि ' नुत्फा " का होना जरुरी है ,और उस वीर्य से लड़का होगा ,या लड़की यह ठीक से बताना मुश्किल होता है और होने वाली संतान पिता या माता में किसके समरूप होगी यह इन हदीसों में बताया गया है .जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है .
1.बाप बेटे में समरूपता
"अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने बताया है ,यदि पुरुष किसी स्त्री से सम्भोग करते समय स्त्री से पहले स्खलित होता है तो ,उसका होने वाला बच्चा पिता के अनुरूप होगा . और यदि स्त्री पहले स्खलित होती है , तो बच्चा माता के अनुरूप होता है " सही बुखारी -जिल्द 4 किताब 55 हदीस 546

2.माँ बेटी में समरूपता
"उम्मे सलमाँ ने रसूल से पूछा यदि किसी औरत रात "एहतलामاحتلام-   "यानी स्वप्नदोष(  nocturnal discharge  ) हो जाए , तो क्या उसके लिए गुस्ल (bath ) करना अनिवार्य है , रसूल ने कहा हाँ .यदि किसी औरत रात के समय ( wet-dream ) "एहतलाम احتلام  "हो जाये और उसे पता चले कि उसकी योनि से " माअ Maa" ماء  "( "( वीर्य ) निकल गया ,और वह गुस्ल नहीं करे तो होने वाला बच्चा माता के अनुरूप होगा
.सही बुखारी -जिल्द 4 किताब 55 हदीस 545
हो सकता है कि जिन लोगों को शरीर विज्ञानं या भ्रूण विज्ञानं का पता नहीं है ,या कुरान और अल्लाह की ऐसी बातों पर विश्वास कर लेंगे .लेकिन शरीर में वीर्य कहाँ बनता है ,इसके बारे में कुरान में जो भी बताया है ,उसे पढ़कर अल्लाह और उसके रसूल की मुर्खता पर मुसलमान अपना सिर पीटने लगेंगे ,क्योंकि कुरान में कहा है ,
6--वीर्य कहाँ बनता है
एक साधारण दसवीं कक्षा का विद्यार्थी भी जानता है कि वीर्य और शुक्राणु पुरुष के अंडकोष में तैयार होते हैं , लेकिन कुरान इसे रीढ़ और हंसली की हड्डी में बता रही है , जो इन आयतों दिया है ,
" तो मनुष्य देखे कि वह किस चीज से बना है ,एक उछलते हुए पानी (gushing fluid) से बना है ,जो निकलती है रीढ़ और हंसली के बीच में से (issued from between  loins and ribs)
"يَخْرُجُ مِنْ بَيْنِ الصُّلْبِ وَالتَّرَائِبِ "
issuing from between the loins [of man] and the pelvic arch [of woman]. (86:7)
सूरा -अत तारिक 86:5 से 7 तक
पूरी जानकारी के लिए देखिये ,विडिओ
Quran 86:5-7 Sperm comes from backbone of man & ribs of woman

http://www.youtube.com/watch?v=DtDp7mTnleA

7-वीर्य के बारे में सच्चाई
विकीपीडया में वीर्य के बारे में इस प्रकार लिखा है ,"वीर्य एक जैविक तरल पदार्थ है, जिसे बीजीय या वीर्य तरल भी कहते हैं, जिसमे सामान्यतः शुक्राणु होते हैं. यह जननग्रन्थि (यौन ग्रंथियां) तथा नर अंगों द्वारा स्रावित होता है और मादा अंडाणु को निषेचित कर सकता है.
(Semen, also known as seminal fluid, is an organic fluid that may contain spermatozoa. It is secreted by the gonads (sexual glands) and  sexual organs of male , and can fertilize female ova.

8-निष्कर्ष
इन सभी तथ्यों से यह बातें सिद्ध होती हैं कि ,
1.सभी मुसलमानों का स्वभाव एक जैसा होता है , जिसको सुधारना असंभव है .
2.मुहम्मद को झूठ बोलने और लोगों को अंधविश्वासी बनाने की आदत थी .
3.अल्लाह सर्वज्ञ नहीं , बल्कि महा मूर्ख है , उसे इतना भी ज्ञान नहीं कि वीर्य रीढ़ या हंसली में नहीं बल्कि पुरुष के अण्डकोश ( testicles ) में पैदा होता है .
4.अंतिम और महत्त्वपूर्ण बात यह सिद्ध होती है कि मुसलमान जिस वीर्य से बनते हैं वह नकली है .और बनावटी है .क्योंकि वह गैर मुस्लिमों की तरह अंडकोष से नहीं किसी दूसरी जगह से बनाया जाता है .अर्थात defctive और duplicate है .
यही कारण है कि सभी मुसलमान अपराधी और आतंकवादी होते हैं .इनको सुधारने की जगह नष्ट कर देना ही उचित होगा .

इस्लामी अन्ध्विज्ञान

इस्लामी अंधविज्ञान !

विज्ञानं और इस्लाम एक दूसरे के विरोधी हैं , क्योंकि विज्ञानं तथ्यों को तर्क की कसौटी पर परखने के बाद और कई बार परीक्षण करने के बाद उनको स्वीकार करता है .जबकि इस्लाम निराधार , बेतुकी , और ऊलजलूल बातों पर आँख मूँद पर ईमान रखने पर जोर देता है . इतिहास गवाह है कि इस्लाम के उदय से लेकर मुसलमानों ने " हुक्के " के आलावा कोई अविष्कार नहीं किया ,लेकिन दूसरों के द्वारा किये गए अविष्कारों के फार्मूले चोरी करके उनका उपयोग दुनिया को बर्बाद करने के लिए जरुर किया है .
लगभग 15 वीं शताब्दी तक मुसलमान तलवार की जोर से इस्लाम फैलाते . लेकिन जैसे जैसे विज्ञानं की उन्नति होने लगी , तो लोगों की विज्ञानं के प्रति प्रति रूचि बढ़ने लगी , यह देख कर जाकिर नायक जैसे धूर्त इस्लाम के प्रचारकों ने नयी तरकीब निकाली ,यह लोग कुरान और हदीस में दी गयी बेसिर पर की बातों का तोड़ मरोड़ कर ऐसा अर्थ करने लगे जिस से यह साबित हो जाये कि कुरान और हदीसें विज्ञानं सम्मत हैं .मुसलमानों की इसी चालाकी भरी नीति को ही " इस्लामी अंधविज्ञानं " कहा जाता है .इसका उद्देश्य पढ़े लिखे लोगों को गुमराह करके उनका धर्म परिवर्तन कराना है .लेकिन जाकिर नायक जैसे लोग विज्ञानं की आड़ में लोगों के दिमाग में इस्लाम का कचरा भरने का कितना भी प्रयास करें ,खुद कुरान और हदीस ही उनके दावों का भंडाफोड़ कर देते है .यद्यपि कुरान और हदीस में हजारों ऐसे बातें मौजूद है ,जो विज्ञानं के बिलकुल विपरीत हैं , लेकिन कुछ थोड़े से उदहारण यहाँ दिए जा रहे हैं .

1-आकाश के सात तल
इस्लामी मान्यता के अनुसार आकाश के सात तल हैं , जो एक दुसरे के ऊपर टिके हुए हैं . और अल्लाह सबसे ऊपर वाले असमान पर अपना सिंहासन जमा कर बैठा रहता है . और वहीँ से अपने फरिश्तों या नबियों के द्वारा हुकूमत चला रहा है .इसी लिए आकाश को अरबी में " समावात " भी कहा जाता है , जो बहुवचन शब्द है . अंगरेजी में इसका अनुवाद Heavens इसी लिए किया जाता है , क्योंकि इस्लाम में आकाश के सात तल माने गए हैं .जैसा कि इन आयतों में कहा गया है .

"क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने किस प्रकार से सात आसमान ऊपर तले बनाये हैं "
सूरा -नूह 71:15
कुरान की इस बात की पुष्टि इस हदीस से भी होती है ,
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने अपनी पुत्री फातिमा से कहा करते थे कि जब भी अल्लाह को पुकारो तो , कहा करो कि ' हे सात असमानों के स्वामी अल्लाह "
وَحَدَّثَنَا أَبُو كُرَيْبٍ، مُحَمَّدُ بْنُ الْعَلاَءِ حَدَّثَنَا أَبُو أُسَامَةَ، ح وَحَدَّثَنَا أَبُو بَكْرِ بْنُ أَبِي، شَيْبَةَ وَأَبُو كُرَيْبٍ قَالاَ حَدَّثَنَا ابْنُ أَبِي عُبَيْدَةَ، حَدَّثَنَا أَبِي كِلاَهُمَا، عَنِ الأَعْمَشِ، عَنْ أَبِي، صَالِحٍ عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، قَالَ أَتَتْ فَاطِمَةُ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم تَسْأَلُهُ خَادِمًا فَقَالَ لَهَا ‏ "‏ قُولِي اللَّهُمَّ رَبَّ السَّمَوَاتِ السَّبْعِ ‏"‏ ‏.‏ بِمِثْلِ حَدِيثِ سُهَيْلٍ عَنْ أَبِيهِ ‏.‏
सही मुस्लिम -किताब 35 हदीस 6553

2-तारे पृथ्वी के निकट हैं
विज्ञानं ने सिद्ध कर दिया है कि तारे ( stars ) पृथ्वी से करोड़ों प्रकाश वर्ष मील दूर हैं .और दूरी के कारण छोटे दिखायी देते हैं .लेकिन कुरान इस से बिलकुल उलटी बात कहती है ,कि तारे आकाश के सबसे निचले आकाश में सजे हुए है .यानी पृथ्वी के बिलकुल पास हैं .कुरान की यह आयत देखिये ,
"हमने दुनिया के आकाश को सबसे निचले आकाश को तारों से सजा दिया है "
सूरा -अस साफ्फात 37:6

3-सूरज दलदल में डूब जाता है
कुरान की ऐसी कई कहानियां हैं ,जो यूनानी दन्तकथाओं से ली गयी हैं .ऐसी एक कहानी सिकंदर की है , जिसने दावा किया था कि उसने सूरज को एक कीचड़ वाले दलदल में डूबा हुआ देखा था .सिकंदर को कुरान में "जुल करनैन " ذو القرنين "कहा गया है . अरबी में इस शब्द का अर्थ "दो सींगों वाला two-horned one" होता है .इस्लामी किताबों में इसे भी अल्लाह का एक नबी बताया जाता है ,लेकिन जुल करनैन वास्तव में कौन था इसके बारे में इस्लामी विद्वानों में मतभेद है , मौलाना अबुल कलाम आजाद ने अपनी किताब ' असहाबे कहफ " में इसे सिकंदर महान Alexander the Great साबित किया है .कहा जाता है कि जब सिकंदर विश्वविजय के लिए फारस से आगे निकल गया तो उसने सूरज को एक दलदल में डूबते हुए देखा था .और कुरान इस बात को सही मानकर जोड़ लिया गया .कुरान में बताया गया है कि सूर्यास्त के बाद सूरज कहाँ डूब जाता है ,
" यहाँ तक कि वह ( जुल करनैन ) उस जगह पहुंच गया ,और उसने सूरज को एक कीचड़ वाले दलदल (muddy spring ) डूबा हुआ पाया "
सूरा -अल कहफ़ 18:86

4-रात में सूरज कहाँ रहता है ?
इस बात को सभी लोग जानते हैं कि सूरज अस्त होने के बाद भी प्रथ्वी के किसी न किसी भाग पर प्रकाश देता रहता है ,यानि प्रथ्वी के उस भाग पर दिन बना रहता है , लेकिन हदीस के अनुसार अस्त होने के बाद सूरज रात भर अल्लाह के सिंहासन के नीचे छुपा रहता है
"अबू जर ने कहा कि एक बार रसूल ने मुझ से पूछा कि क्या तुम जानते हो कि सूर्यास्त के बाद सूरज कहाँ छुप जाता है , तो मैंने कहा कि रसूल मुझ से अधिक जानते है . तब रसूल ने कहा सुनो जब सूरज अपना सफ़र पूरा कर लेता है ,तो अल्लाह को सिजदा करके उसके सिंहासन के कदमों के नीचे छुप जाता है .फिर जब अल्लाह उसे फिर से निकलने का हुक्म देते है , तो सूरज अल्लाह को सिजदा करके वापस अपने सफ़र पर निकल पड़ता है .और यदि अल्लाह सूरज को हुक्म देगा तो सूरज पूरब की जगह पश्चिम से निकल सकता है
.सही बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 421

5-अंधविश्वासी रसूल
सूर्यग्रहण एक प्राकृतिक घटना है .जिसका क़यामत से कोई सम्बन्ध नहीं है .लेकिन मुसलमान जिस मुहम्मद को अल्लाह का रसूल और हर विषय का जानकार बताते हैं , वह सूर्यग्रहण के समय डर के मारे कांपने लगता था ,यह बात इस हदीस से पता चलती है ,
"अबू मूसा ने कहा कि जिस दिन भी सूर्यग्रहण होता था , रसूल डर के मारे खड़े होकर कांपने लगते थे .उनको लगता था कि यह कियामत का दिन है , जिसमे कर्मों का हिसाब होने वाला है .फिर रसूल भाग कर मस्जिद में घुस जाते थे , वहां लम्बी लम्बी नमाजें पढ़ते थे और सिजदे करते थे .हमने उनको इतना भयभीत कभी नहीं देखा . शायद वह सूर्यग्रहण को कियामत की निशानी समझते थे . और अल्लाह से अपने गुनाहों को माफ़ करने के लिए इतनी अधिक इबादत किया करते थे ."
सही बुखारी - जिल्द 2 किताब 15 हदीस 167

क्या ऐसे अंधविश्वासी और डरपोक व्यक्ति की बातों पर ईमान लाना मूर्खता नहीं है ?

6-कपड़ा चोर चट्टान
मुसलमान जिन हदीसों को प्रमाणिक मानकर खुद मानते हैं ,और दूसरों को मानने पर जोर डालते हैं , उनमे ऐसी ऐसी बातें दी गयी हैं ,जिनपर कोई मूर्ख ही विश्वास कर सकता है .फिर भी मुस्लिम प्रचारक दावा करते रहते हैं कि कुरान की तरह हदीसें भी विज्ञानं सम्मत है .इसके लिए यह एक हदीस ही काफी है ,जिसे पढ़कर हदीस कहने वाले की बुद्धि पर हंसी आती है .जिसमे मूसा (Moses ) के बारे में एक घटना दी गयी है ,हदीस देखिये ,

"अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने बताया है कि बनीइजराइल के लोग नंगे होकर नहाया करते थे ,और एक दूसरे के गुप्तांगों को देखा करते थे . लेकिन मूसा अकेले ही नहाते थे . क्योंकि उनके अंडकोष काफी बड़े थे . उनमे (scrotal hernia ) की बीमारी थी . और लोगों को यह बात पता नहीं थी . एक बार जब मूसा अपने कपडे एक चट्टान पर रख कर नहाने के लिए नदी में गए तो . चट्टान उनके कपडे लेकर भागने लगी . और मूसा नंगे ही उसके पीछे दौड़ते हुए कहने लगे " चट्टान मेरे कपडे वापस कर " इस तरह लोगों को पता चल गया कि मूसा के अंडकोष बड़े हैं . तब लोगों ने चट्टान से मूसा के कपडे वापस दिलवाए .और नाराज होकर मूसा ने उस चट्टान को काफी मारा .रसूल ने कहा " अल्लाह की कसम आज भी उस चट्टान पर मारने के छह सात निशान मौजूद हैं "
सही बुखारी - जिल्द 1किताब 5 हदीस 277

यही हदीस सही मुस्लिम में भी मौजूद है .
सही मुस्लिम -किताब 3 हदीस 669 और सही मुस्लिम -किताब 30 हदीस 5849

यही नहीं मूसा की इस कहानी के बारे में कुरान में भी लिखा है . और मुसलमानों को निर्देश दिया गया है कि " हे ईमान वालो तुम उन लोगों जैसे नहीं बन जाना , जिन्होंने मूसा को (नंगा देख कर ) दुःख पहुंचाया था " सूरा -अहजाब 33:69
कुरान और हदीसों के इन कुछ उदाहरणों को पढ़ कर लोग यही सोचेंगे कि जब मुसलमानों के अल्लाह और रसूल आकाश ,सूरज ,और चट्टान के बारे में ऐसे अवैज्ञानिक विचार रखते हैं ,तो मुसलमान कुरान और् हदीस विरोधी विज्ञानं क्यों पढ़ते हैं? इसका एक ही कारण है कि मुसलमान विज्ञानं से दुनियां की भलाई नहीं दुनिया को बर्बाद करना चाहते हैं ,या तो वह कहीं से किसी अविष्कार का फार्मूला चुरा लेते है .या फिर विज्ञानं का उपयोग विस्फोटक बनाने , नकली नोट छापने , फर्जी क्रेडिट कार्ड से रुपये निकालने ,और दूसरों की साईटों को हैक करने में करते हैं .
लेकिन विज्ञानं की सहायता से इतने कुकर्म करने के बाद भी ,मुसलमानों में इस्लामी अंधविज्ञानं हमेशा बना रहता है .और क़यामत तक बना रहेगा .

इस्लाम भूमि को माता मानता है !!

इस्लाम भूमि को माता मानता है !!

अपने देश की रक्षा करना और उसका सम्मान करना हरेक देशवासी का कर्तव्य है .क्योंकि ऐसा करना देश की एकता और अखंडता बनाये रखने के लिए अति आवश्यक है .भारत के हिन्दू देश को माता की तरह सम्मान करते हैं .लेकिन कुछ ऐसे भी मुस्लिम नेता हैं , जो भारत को माता की तरह सम्मान करने को शिर्क यानी अल्लाह के साथ किसी को शामिल करना बता कर गुनाह बताते हैं . और मुसलमानों को भड़काते रहते हैं .ऐसे लोगों ने जैसे यही नीति अपना रखी है ,कि हिन्दू जो भी कहेंगे या करेंगे हम उसके विपरीत काम करेंगे .फिर भी कुछ ऐसे मुद्दे भी हैं , जिन में हिन्दू और इस्लामी विचारों में आश्चर्यजनक रूप से समानता पायी जाती है .जिसका सम्बन्ध देश को माता कहने से है .केवल एक दो शब्दों में अंतर है .परन्तु आशय एक ही है .
जैसे हिन्दू और मुसलमान इस बात को स्वीकार करते हैं , सिर्फ रक्त सम्बन्ध से जन्म देने वाली को ही माता नही माना जा सकता है . पालन पोषण करने वाली महिला को भी माता के रूप में आदर और सम्मान दिया जाता है . उदहारण के लिए यशोदा भगवान कृष्ण की शारीरिक माता नहीं थी . बल्कि उन्होंने भगवान का पालन किया था , और भगवान कृष्ण उनको जीवन भर अपनी माता मानते रहे .
इसी तरह इस्लाम में भी पालन करने वाली को , और सम्मानित महिला को भी माता के रूप में सम्मान दिया जाता है .विषय को स्पष्ट करने के लिए यह उदहारण दिए जा रहे हैं ,
1-रसूल की पालकमाता हलीमा
मुहम्मद साहब के पिता का नाम "अब्दुल्लाह " था . और माता का नाम " आमना बिन्त वहब -امنة بنت وهب "था .मुहम्मद साहब जब अपनी माता के गर्भ में ही थे ,तो उनके पिता का स्वर्गवास हो गया था .यह सन 577 ईसवी की बात है .और जब मुहम्मद साहब की आयु केवल 6 साल ही थी . तो उनकी माता का भी देहांत हो गया . लेकिन अपनी म्रत्यु से पहले आमना ने अपने छोटे से बेटे को " हलीमा सादिया -حليمة السعدية"नामकी एक बद्दू महिला दाई के हवाले कर दिया था . ताकि वह अपना दूध पिला कर मुहम्मद साहब का पालनपोषण करती रहे . और उसने ऐसा ही किया था .हलीमा दाई जब तक जीवित रही ,मुहम्मद साहब उसको माता की तरह आदर और सम्मान देकर माँ पुकार कर संबोधित करते रहे . और आखिर जब हिजरी 8 में हलीमा का देहांत हो गया , तो मुहम्मद साहब ने उसे अपने निजी कबरिस्तान "जन्नतुल बाकी " में दफना दिया था .हलीमा की कब्र आज भी मदीना में मौजूद है .इस घटना से सिद्ध होता है कि पालन करने वाली स्त्री को भी माता माना जा सकता है . और माता के सामान आदर भी दिया जा सकता है .दूसरा उदहारण इस प्रकार है
2-रसूल की पत्नियां माता समान हैं
वैसे तो भारतीय परम्परा के अनुसार हरेक स्त्री को पूज्यनीय माना गया है . फिर भी लोग हरेक बुजुर्ग महिला को आदर से माता जी पुकारते है , चाहे उन से कोई रिश्ता हो या नहीं . इसी तरह अक्सर लोग किसी भी साध्वी , सन्यासिनी महिला को सम्मान देने के लिए " माता जी "कहते हैं , चाहे उनकी आयु कितनी भी कम हो .
इसी तरह कुरान में भी मुसलमानों से मुहम्मद साहब की पत्नियों को अपनी माता समझने का आदेश दिया गया है ,कुरान में कहा है -
"और रसूल की पत्नियां ईमान वालों की माताएं है " सूरा -अहजाब 33:6  (and his wives are mothers of believers)

" وَأَزْوَاجُهُ أُمَّهَاتُهُمْ "33:6
इस से स्पष्ट होता है कि यदि हम किसी को माता की तरह आदर देते हैं , तो यह समझना बिलकुल गलत होगा कि हम उस महिला की उपासना करते है . या उसकी तुलना अल्लाह से कर रहे हैं .और जो लोग ऐसा करने वालों पर "शिर्क " करने का आरोप लगाते है ,वह लोगों को गुमराह करते है .
3-अथर्ववेद में भूमि को माता कहा है .
हिन्दू और मुसलमान दौनों इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि हम पृथ्वी पर जिस भूमि पर रहते आये है , उसी भूमि ने हमें और हमारे पूर्वजों का माता की तरह पालनपोषण किया है . हमारे शरीर में जो मांस रक्त वह इसी भूमि से पैदा हुए अनाज से बना हुआ है . जैसे एक माता अपने पुत्र की परवरिश करती है , वैसे ही यह भूमि हमारा पालन करती है .इसी लिए विश्व के सबसे प्राचीन ग्रन्थ वेद में भूमि को माता बताया गया है ,अथर्ववेद के पृथ्वी सूक्त में भूमि और प्रथ्वी की महिमा बताते हुए यह एक मन्त्र दिया गया है ,

"माता भूमिः पुत्रोऽहम पृथिव्याः  "
प्रथ्वी मेरी माता है , और मैं पृथ्वी का पुत्र हूँ .
(Earth is my mother,I am son of Earth )
अथर्ववेद -काण्ड 12 पृथ्वी सूक्त -63
विश्व का प्राचीन इतिहास पढ़ने से पता चलता है कि इस्लाम के आगमन से काफी समय पहले से ही अरब और भारत के व्यापारिक सम्बन्ध थे .और कालांतर में वेद की यह मान्यता इस्लाम में भी स्वीकृत हो गयी ,कि भूमि हमारी माता है .इसकी पुष्टि इन हदीसों से होती है
4-हदीस में भूमि को माता कहा है
हदीसों का साहित्य काफी बड़ा और गंभीर है , वैसे सुन्नी मुस्लिम मुख्य 6 हदीस की किताबों के बारेमे जानते हैं . लेकिन इनके अलावा हदीसोंकी ऐसी प्रमाणिक किताबें मौजूद है , जिनके बारे में बहुत कम मुस्लिम जानते है .क्योंकि इन हदीसों का संकलन और प्रमाणीकरण देर से हो सका था .परन्तु अधिकांश मुस्लिम विद्वान् इन किताबों में दर्ज हदीसों को सत्य मानते हैं .हम इस विषय से संबधित हदीस देने से पहले , इस हदीस के संकलनकर्ता और पस्तक के बारे में जानकारी देना उचित समझते है .
1.इमाम तबरानी
इनका पूरा नाम "अबुल कासिम सुलेमान इब्ने अहमद इब्ने तबरानी - ابو القاسم سليمان ابن احمد ابن التبراني  " था .इनका जन्म 260 हिजरी यानि सन 870 ईसवी में हुआ था .और मृत्यु हिजरी360 यानी सन ईसवी 970 में हुयी थी .तबरानी ने हदीसों का जो संकलन किया था उसका नाम "अल मुअजम अल कबीर -المعجم الكبير    " है .इस किताब में 5 भाग हैं . और इस हदीस की किताब को प्रमाणिक माना जाता है .दूसरे हदीस संकलनकर्ता का नाम है
2.इमाम ज़हबी
इनका पूरा नाम "मुहम्मद इब्ने अहमद बिन उस्मान कय्यूम अबू अब्दुल्लाह शमशुद्दीन अल ज़हबी -محمد بن احمد بن عثمان بن قيوم ، أبو عبد الله شمس الدين الذهبي‎ " है . इनका जन्म सन1274 ईस्वी में और देहांत सन1348  ईसवी में हुआ था .इन्होने अपने जीवन में कई हदीसें जमा की है .
और इमाम तबरानी ने जो हदीसें जमा की हैं उनको सत्यापित किया है .तबरानी ने एक ऐसी हदीस दी है जो वेद में दिए गए मन्त्र से मिलती जुलती है . वह महत्त्वपूर्ण हदीस यह है ,

"وتحفظوا على الأرض فإنها أمكم   "

"तुहफिजु अलल अर्ज इन्नहा उम्मेकुम "
"भूमि की रक्षा करो , निश्चय ही वह तुम्हारी माता है ."
“And take care of the earth for verily she is your mother.”

al-Mu’jam al-Kabir 5/65, Tabarani

इस हदीस के रावी यानी रसूल के द्वारा कही गयी बात को लोगों तक पंहुचाने वाले ( narrator ) का नाम "अब्दुल्लाह इब्ने लहियह -ابن لهيعة)” " है .

कुरान और हदीस में दिए गये इन पुख्ता सबूतों के आधार पर हम उन लोगों से यही प्रश्न करना चाहते , भारत की रक्षा करने और उसके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए भारत को अपनी माता मानकर " वन्दे मातरम "का घोष करते हैं .तो उनको मुशरिक कैसे कहा जा सकता है .?बताइये जब मुहम्मद साहब की पत्नियों को माता मानना उनकी रसूल से समानता करना नहीं माना जा सकता है . तो देश को माता समझ कर सम्मान करने को देशकी अल्लाह के साथ समानता करना कैसे मानी जा सकती है .और ऐसा करने को शिर्क कैसे माना जा सकता है ?और जो खुराफाती दिमाग वाले मुल्ले मुस्लिम युवकों गुमराह करने के लिए यह कहते हैं ,कि भारत माता की जय , या वन्दे मातरम बोलने से इस्लाम खतरे में पड़ जायेगा ,हम उनसे पूछना चाहते हैं .कि बलात्कार , आतंकवाद जैसे अपराधों से इस्लाम को खतरा क्यों नहीं होता ? क्या सिर्फ वन्देमातरम कहने से ही इस्लाम मिट जायेगा ?वास्तव में इस्लाम को असली खतरा स्वार्थी कट्टर मुल्लों और मुसलमानों के घोर अज्ञान से है .देश को माता कहने से कोई क़यामत नहीं आने वाली है .जैसे हरेक व्यक्ति अपनी माता की रक्षा और सम्मान करता है , वैसे ही हमारा कर्तव्य है कि अपनी देश रूपी माता की रक्षा और सम्मान करें .