मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

कश्मीर स्वर्ग से नर्क कैसे बना ?

कश्मीर स्वर्ग से नर्क कैसे बना ?

कश्मीर को   भारत  का स्वर्ग   कहा जाता है . लेकिन इसको  नर्क  बनाने  में  नेहरू  की  मुस्लिम परस्ती   जिम्मेदार है . जो आज  तक चली  आ रही है . चूँकि देश  का विभाजन धर्म  के आधार  पर हुआ था .और जिन्नाजैसे  कट्टर नेताओं का तर्क था कि  मुस्लिम  बहुल  कश्मीर  के बिना  पाकिस्तान  अपूर्ण  है . इसलिए पाकिस्तान  प्रेरित उग्रवादी  और पाक सेना मिल   कर कश्मीर  में ऐसी  हालत  पैदा  करना चाहते हैं ,जिस से  कश्मीर के हिन्दू  भाग   कर किसी  अन्य  प्रान्त में  चले  जाएँ .कांगरेस  की अलगाववादी  नीति  के  कारण  हालत इतनी गंभीर हो गयी कि   हिन्दू श्रीनगर के  लाल चौक   में खुले आम  तिरंगा  भी नहीं  फहरा  सकते हैं .जबकि हिन्दू  हजारों  साल से कश्मीर में  रहते  आये हैं ,और  महाभारत  के समय  से ही कश्मीर पर हिन्दू  राजा राज्य  करते  आये हैं .  इसके लिए हमें  इतिहास के पन्नों  में   झांकना होगा  ,कि  कश्मीर  को विशेष  दर्जा  देने का  क्या औचित्य  है ,?
1-कश्मीर का प्राचीन  इतिहास
कश्मीर  के प्राचीन इतिहास    का   प्रमाणिक  इतिहास   महाकवि  " कल्हण "  ने  सन  1148 -49  में  अपनी  प्रसिद्ध  पुस्तक " राजतरंगिणी "  में  लिखा  था . इस पुस्तक में   8 तरंग   यानि  अध्याय   और संस्कृत  में कुल    7826  श्लोक  हैं . इस   पुस्तक के  अनुसार  कश्मीर  का  नाम  " कश्यपमेरु  "   था  .  जो  ब्रह्मा  के  पुत्र  ऋषि  मरीचि  के पुत्र  थे .चूँकि  उस समय में  कश्मीर  में  दुर्गम  और ऊंचे पर्वत थे ,  इसलिए ऋषि कश्यप ने लोगों   को आने जाने के लिए   रास्ते  बनाये थे .  इसीलिए  भारत के इस   भाग  का नाम " कश्यपमेरू " रख  दिया गया  , जो बिगड़  कर  कश्मीर    हो गया  .राजतरंगिणी  के  प्रथम  तरंग में  बताया गया है  कि सबसे पहले  कश्मीर  विधिवत     पांडवों   के  सबसे  छोटे  भाई  सहदेव   ने राज्य    की  स्थापना  की थी , और  उस समय   कश्मीर में   केवल  वैदिक   धर्म   ही  प्रचलित  था .फिर  सन  273  ईसा  पूर्व   कश्मीर में  बौद्ध  धर्म   का  आगमन  हुआ  . फिर भी कश्मीर में  सहदेव  के वंशज  पीढ़ी  दर पीढ़ी   कश्मीर  पर 23  पीढ़ी  तक  राज्य  करते  रहे ,यद्यपि  पांचवीं सदी में " मिहिरकुल "   नामके  " हूण " ने  कश्मीर  पर  कब्ज़ा  कर लिया  था . लेकिन  उसने शैव  धर्म  अपना  लिया  था .
2-कश्मीर  में इस्लाम
इस्लाम  के  नापाक  कदम  कश्मीर में सन 1015  में   उस समय  पड़े  जब  महमूद  गजनवी ने  कश्मीर  पर हमला  किया था  .लेकिन  उसका उद्देश्य  कश्मीर में इस्लाम   का प्रचार करना नहीं   लूटना था , और लूट मार कर वह वापिस गजनी  चला गया . उसके बाद ही कश्मीर पर दुलोचा  मंगोल  ने  भी हमला  किया . लेकिन  उसे तत्कालीन  कश्मीर के राजा  सहदेव   के मंत्री ने  पराजित करके  भगा  दिया . और सन  1320  में  कश्मीर में  "रनचिन " नामका  तिब्बती  शरणार्थी सेनिक  राज के पास   नौकरी के लिए  आया  . उसकी वीरता  को देख कर राजा ने  उसे सेनापति  बना  दिया . रनचिन  ने  राज से  अनुरोध  किया कि  मैं  हिन्दू  धर्म  अपनाना  चाहता  हूँ .लेकिन  पंडितों  ने  उसके अनुरोध का  विरोध  किया  और कहा कि दूसरी जाती का होने के कारण  तुम्हें  हिन्दू  नहीं  बनाया   जा सकता  .कुछ  समय के  बाद  राजा  सहदेव   का  देहांत  हो  गया  और उसकी पत्नी " कोटा  रानी  "  राज्य  चलाने लगी   और  उसने  " रामचन्द्र " को अपना  मंत्री  बना   दिया .   उस समय  कश्मीर में कुछ  मुसलमान   मुल्ले सूफी बन कर कश्मीर में   घुस  चुके  थे . ऐसा एक  सूफी  " बुलबुल  शाह  " था .उसने  रनचिन   से कहा  यदि  हिन्दू पंडित तुम्हें  हिन्दू नहीं   बनाते  तो  तुम  इस्लाम  कबुल   कर लो .इसा तरह  बुलबुल शाह ने  रनचिन  कलमाँ   पढ़ा कर  मुसलमान   बना दिया . जिस जगह  रनचिन  मुसलमान  बना था उसे  बुलबुल  शाह का  लंगर  कहा  जाता है  .जो  श्रीनगर के पांचवें  पुल के पास है . रन चिन   ने  अपना  नाम   " सदरुद्दीन  "   रखवा   लिया  था .बुलबुल शाह   की संगत  में  रनचिन  हिन्दुओं   का घोर शत्रु  बन गया . और 6 अक्टूबर  1320  को   रन चिन   ने धोखे से  मंत्री   रामचन्द्र   की  हत्या  कर दी .मंत्री   को  मरने के बाद   रनचिन   अपना  नाम " सुलतान  सदरुद्दीन  ' रख  लिया .फिर   अफगानिस्तान  से   मुसलमानों को   कश्मीर में  बुला कर बसाने लगा . और  करीब  सत्तर  हजार  मुसलमान की  सेना  बना ली  .  और कुछ  समय बाद  सन  1339 में  कोटा रानी   को  को कैद  कर लिया और  उस से  बलपूर्वक  शादी   कर  ली .सदरुद्दीन   के सैनिक  प्रति दिन  सैकड़ों  हिन्दुओं   का  क़त्ल  करते थे .इसलिए कुछ लोग  यातो  दर के कारण  मुसलमान  बन गए या भाग कर   जम्मू  चले   गए  . और  कश्मीर  घाटी  हिन्दुओं  से खाली  हो  गयी .

लेकिन   वर्त्तमान  कांगरेस   की  सरकार    जम्मू को भी  हिन्दू विहीन   बनाने में   लगी  हुई है .  काश  उस समय  महर्षि  दयानंद होते   जो  रनचिन  को  मुसलमान   नहीं    होने देते  .
इसलिए    हिन्दुओं   को चाहिए कि सभी   हिन्दुओं   को अपना  भाई  समझे  , और जो भी  हिन्दू धर्म  स्वीकार करना चाहे उसे   हिन्दू बना कर अपने  समाज में शामिल  कर लें  .  और  हिन्दू विरोधी  कांगरेस का  हर प्रकार   से विरोध   करें  .

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