मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

इस्लामी अन्ध्विज्ञान

इस्लामी अंधविज्ञान !

विज्ञानं और इस्लाम एक दूसरे के विरोधी हैं , क्योंकि विज्ञानं तथ्यों को तर्क की कसौटी पर परखने के बाद और कई बार परीक्षण करने के बाद उनको स्वीकार करता है .जबकि इस्लाम निराधार , बेतुकी , और ऊलजलूल बातों पर आँख मूँद पर ईमान रखने पर जोर देता है . इतिहास गवाह है कि इस्लाम के उदय से लेकर मुसलमानों ने " हुक्के " के आलावा कोई अविष्कार नहीं किया ,लेकिन दूसरों के द्वारा किये गए अविष्कारों के फार्मूले चोरी करके उनका उपयोग दुनिया को बर्बाद करने के लिए जरुर किया है .
लगभग 15 वीं शताब्दी तक मुसलमान तलवार की जोर से इस्लाम फैलाते . लेकिन जैसे जैसे विज्ञानं की उन्नति होने लगी , तो लोगों की विज्ञानं के प्रति प्रति रूचि बढ़ने लगी , यह देख कर जाकिर नायक जैसे धूर्त इस्लाम के प्रचारकों ने नयी तरकीब निकाली ,यह लोग कुरान और हदीस में दी गयी बेसिर पर की बातों का तोड़ मरोड़ कर ऐसा अर्थ करने लगे जिस से यह साबित हो जाये कि कुरान और हदीसें विज्ञानं सम्मत हैं .मुसलमानों की इसी चालाकी भरी नीति को ही " इस्लामी अंधविज्ञानं " कहा जाता है .इसका उद्देश्य पढ़े लिखे लोगों को गुमराह करके उनका धर्म परिवर्तन कराना है .लेकिन जाकिर नायक जैसे लोग विज्ञानं की आड़ में लोगों के दिमाग में इस्लाम का कचरा भरने का कितना भी प्रयास करें ,खुद कुरान और हदीस ही उनके दावों का भंडाफोड़ कर देते है .यद्यपि कुरान और हदीस में हजारों ऐसे बातें मौजूद है ,जो विज्ञानं के बिलकुल विपरीत हैं , लेकिन कुछ थोड़े से उदहारण यहाँ दिए जा रहे हैं .

1-आकाश के सात तल
इस्लामी मान्यता के अनुसार आकाश के सात तल हैं , जो एक दुसरे के ऊपर टिके हुए हैं . और अल्लाह सबसे ऊपर वाले असमान पर अपना सिंहासन जमा कर बैठा रहता है . और वहीँ से अपने फरिश्तों या नबियों के द्वारा हुकूमत चला रहा है .इसी लिए आकाश को अरबी में " समावात " भी कहा जाता है , जो बहुवचन शब्द है . अंगरेजी में इसका अनुवाद Heavens इसी लिए किया जाता है , क्योंकि इस्लाम में आकाश के सात तल माने गए हैं .जैसा कि इन आयतों में कहा गया है .

"क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने किस प्रकार से सात आसमान ऊपर तले बनाये हैं "
सूरा -नूह 71:15
कुरान की इस बात की पुष्टि इस हदीस से भी होती है ,
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने अपनी पुत्री फातिमा से कहा करते थे कि जब भी अल्लाह को पुकारो तो , कहा करो कि ' हे सात असमानों के स्वामी अल्लाह "
وَحَدَّثَنَا أَبُو كُرَيْبٍ، مُحَمَّدُ بْنُ الْعَلاَءِ حَدَّثَنَا أَبُو أُسَامَةَ، ح وَحَدَّثَنَا أَبُو بَكْرِ بْنُ أَبِي، شَيْبَةَ وَأَبُو كُرَيْبٍ قَالاَ حَدَّثَنَا ابْنُ أَبِي عُبَيْدَةَ، حَدَّثَنَا أَبِي كِلاَهُمَا، عَنِ الأَعْمَشِ، عَنْ أَبِي، صَالِحٍ عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، قَالَ أَتَتْ فَاطِمَةُ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم تَسْأَلُهُ خَادِمًا فَقَالَ لَهَا ‏ "‏ قُولِي اللَّهُمَّ رَبَّ السَّمَوَاتِ السَّبْعِ ‏"‏ ‏.‏ بِمِثْلِ حَدِيثِ سُهَيْلٍ عَنْ أَبِيهِ ‏.‏
सही मुस्लिम -किताब 35 हदीस 6553

2-तारे पृथ्वी के निकट हैं
विज्ञानं ने सिद्ध कर दिया है कि तारे ( stars ) पृथ्वी से करोड़ों प्रकाश वर्ष मील दूर हैं .और दूरी के कारण छोटे दिखायी देते हैं .लेकिन कुरान इस से बिलकुल उलटी बात कहती है ,कि तारे आकाश के सबसे निचले आकाश में सजे हुए है .यानी पृथ्वी के बिलकुल पास हैं .कुरान की यह आयत देखिये ,
"हमने दुनिया के आकाश को सबसे निचले आकाश को तारों से सजा दिया है "
सूरा -अस साफ्फात 37:6

3-सूरज दलदल में डूब जाता है
कुरान की ऐसी कई कहानियां हैं ,जो यूनानी दन्तकथाओं से ली गयी हैं .ऐसी एक कहानी सिकंदर की है , जिसने दावा किया था कि उसने सूरज को एक कीचड़ वाले दलदल में डूबा हुआ देखा था .सिकंदर को कुरान में "जुल करनैन " ذو القرنين "कहा गया है . अरबी में इस शब्द का अर्थ "दो सींगों वाला two-horned one" होता है .इस्लामी किताबों में इसे भी अल्लाह का एक नबी बताया जाता है ,लेकिन जुल करनैन वास्तव में कौन था इसके बारे में इस्लामी विद्वानों में मतभेद है , मौलाना अबुल कलाम आजाद ने अपनी किताब ' असहाबे कहफ " में इसे सिकंदर महान Alexander the Great साबित किया है .कहा जाता है कि जब सिकंदर विश्वविजय के लिए फारस से आगे निकल गया तो उसने सूरज को एक दलदल में डूबते हुए देखा था .और कुरान इस बात को सही मानकर जोड़ लिया गया .कुरान में बताया गया है कि सूर्यास्त के बाद सूरज कहाँ डूब जाता है ,
" यहाँ तक कि वह ( जुल करनैन ) उस जगह पहुंच गया ,और उसने सूरज को एक कीचड़ वाले दलदल (muddy spring ) डूबा हुआ पाया "
सूरा -अल कहफ़ 18:86

4-रात में सूरज कहाँ रहता है ?
इस बात को सभी लोग जानते हैं कि सूरज अस्त होने के बाद भी प्रथ्वी के किसी न किसी भाग पर प्रकाश देता रहता है ,यानि प्रथ्वी के उस भाग पर दिन बना रहता है , लेकिन हदीस के अनुसार अस्त होने के बाद सूरज रात भर अल्लाह के सिंहासन के नीचे छुपा रहता है
"अबू जर ने कहा कि एक बार रसूल ने मुझ से पूछा कि क्या तुम जानते हो कि सूर्यास्त के बाद सूरज कहाँ छुप जाता है , तो मैंने कहा कि रसूल मुझ से अधिक जानते है . तब रसूल ने कहा सुनो जब सूरज अपना सफ़र पूरा कर लेता है ,तो अल्लाह को सिजदा करके उसके सिंहासन के कदमों के नीचे छुप जाता है .फिर जब अल्लाह उसे फिर से निकलने का हुक्म देते है , तो सूरज अल्लाह को सिजदा करके वापस अपने सफ़र पर निकल पड़ता है .और यदि अल्लाह सूरज को हुक्म देगा तो सूरज पूरब की जगह पश्चिम से निकल सकता है
.सही बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 421

5-अंधविश्वासी रसूल
सूर्यग्रहण एक प्राकृतिक घटना है .जिसका क़यामत से कोई सम्बन्ध नहीं है .लेकिन मुसलमान जिस मुहम्मद को अल्लाह का रसूल और हर विषय का जानकार बताते हैं , वह सूर्यग्रहण के समय डर के मारे कांपने लगता था ,यह बात इस हदीस से पता चलती है ,
"अबू मूसा ने कहा कि जिस दिन भी सूर्यग्रहण होता था , रसूल डर के मारे खड़े होकर कांपने लगते थे .उनको लगता था कि यह कियामत का दिन है , जिसमे कर्मों का हिसाब होने वाला है .फिर रसूल भाग कर मस्जिद में घुस जाते थे , वहां लम्बी लम्बी नमाजें पढ़ते थे और सिजदे करते थे .हमने उनको इतना भयभीत कभी नहीं देखा . शायद वह सूर्यग्रहण को कियामत की निशानी समझते थे . और अल्लाह से अपने गुनाहों को माफ़ करने के लिए इतनी अधिक इबादत किया करते थे ."
सही बुखारी - जिल्द 2 किताब 15 हदीस 167

क्या ऐसे अंधविश्वासी और डरपोक व्यक्ति की बातों पर ईमान लाना मूर्खता नहीं है ?

6-कपड़ा चोर चट्टान
मुसलमान जिन हदीसों को प्रमाणिक मानकर खुद मानते हैं ,और दूसरों को मानने पर जोर डालते हैं , उनमे ऐसी ऐसी बातें दी गयी हैं ,जिनपर कोई मूर्ख ही विश्वास कर सकता है .फिर भी मुस्लिम प्रचारक दावा करते रहते हैं कि कुरान की तरह हदीसें भी विज्ञानं सम्मत है .इसके लिए यह एक हदीस ही काफी है ,जिसे पढ़कर हदीस कहने वाले की बुद्धि पर हंसी आती है .जिसमे मूसा (Moses ) के बारे में एक घटना दी गयी है ,हदीस देखिये ,

"अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने बताया है कि बनीइजराइल के लोग नंगे होकर नहाया करते थे ,और एक दूसरे के गुप्तांगों को देखा करते थे . लेकिन मूसा अकेले ही नहाते थे . क्योंकि उनके अंडकोष काफी बड़े थे . उनमे (scrotal hernia ) की बीमारी थी . और लोगों को यह बात पता नहीं थी . एक बार जब मूसा अपने कपडे एक चट्टान पर रख कर नहाने के लिए नदी में गए तो . चट्टान उनके कपडे लेकर भागने लगी . और मूसा नंगे ही उसके पीछे दौड़ते हुए कहने लगे " चट्टान मेरे कपडे वापस कर " इस तरह लोगों को पता चल गया कि मूसा के अंडकोष बड़े हैं . तब लोगों ने चट्टान से मूसा के कपडे वापस दिलवाए .और नाराज होकर मूसा ने उस चट्टान को काफी मारा .रसूल ने कहा " अल्लाह की कसम आज भी उस चट्टान पर मारने के छह सात निशान मौजूद हैं "
सही बुखारी - जिल्द 1किताब 5 हदीस 277

यही हदीस सही मुस्लिम में भी मौजूद है .
सही मुस्लिम -किताब 3 हदीस 669 और सही मुस्लिम -किताब 30 हदीस 5849

यही नहीं मूसा की इस कहानी के बारे में कुरान में भी लिखा है . और मुसलमानों को निर्देश दिया गया है कि " हे ईमान वालो तुम उन लोगों जैसे नहीं बन जाना , जिन्होंने मूसा को (नंगा देख कर ) दुःख पहुंचाया था " सूरा -अहजाब 33:69
कुरान और हदीसों के इन कुछ उदाहरणों को पढ़ कर लोग यही सोचेंगे कि जब मुसलमानों के अल्लाह और रसूल आकाश ,सूरज ,और चट्टान के बारे में ऐसे अवैज्ञानिक विचार रखते हैं ,तो मुसलमान कुरान और् हदीस विरोधी विज्ञानं क्यों पढ़ते हैं? इसका एक ही कारण है कि मुसलमान विज्ञानं से दुनियां की भलाई नहीं दुनिया को बर्बाद करना चाहते हैं ,या तो वह कहीं से किसी अविष्कार का फार्मूला चुरा लेते है .या फिर विज्ञानं का उपयोग विस्फोटक बनाने , नकली नोट छापने , फर्जी क्रेडिट कार्ड से रुपये निकालने ,और दूसरों की साईटों को हैक करने में करते हैं .
लेकिन विज्ञानं की सहायता से इतने कुकर्म करने के बाद भी ,मुसलमानों में इस्लामी अंधविज्ञानं हमेशा बना रहता है .और क़यामत तक बना रहेगा .

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