मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

झूठे रसूल के साथी

झूठे रसूल के बेवफा साथी

विश्व  में ऐसे कई  लोग हो चुके हैं  ,जिन्होंने अपने स्वार्थ  के लिए  खुद  को अवतार , सिद्ध ,संत और चमत्कारी व्यक्ति घोषित   कर   दिया था  . और  लोगों  को अपने बारे में ऎसी   बाते  फैलायी जिस से लोग   उनके अनुयायी हो  जाएँ ,लेकिन देखा गया है  कि  भोले भले लोग पहले तो   ऐसे  पाखंडियों    के   जाल  में फस   जाते  हैं   और उनकी संख्या   भी   बड़ी   हो   जाती  है  ,लेकिन   जब  उस  पाखंडी का  भंडा फूट   जाता है तो उसके  सारे  साथी ,यहाँ तक पत्नी  भी  मुंह  मोड़  लेती   है  . शायद ऐसा ही मुहम्मद साहब  के साथ  हुआ था  . मुहम्मद साहब ने भी खुद को अल्लाह  का रसूल  बता  कर  और  लोगों  को  जिहाद में मिलने  वाले  लूट  का माल  और औरतों   का  लालच  दिखा  कर  मूसलमान   बना   लिया  था  ,उस समय  हरेक ऐरागैरा   उनका  सहाबा  यानी  companion बन  गया  था ,लेकिन  जब  मुहम्मद   मरे तो उनके जनाजे में एक   भी  सहाबा  नही  गया , यहाँ तक  उनके ससुर  यानी  आयशा  के बाप  को  यह  भी  पता नहीं  चला   कि  रसूल  कब मरे ? किसने उनको दफ़न   किया  और उनकी  कबर कहाँ  थी ,जो  मुसलमान  सहाबा को रसूल सच्चा  अनुयायी   बताते हैं  , वह  यह  भी नही जानते थे कि रसूल  की  कब्र   खुली   पड़ी  रही   . वास्तव में  मुहम्मद साहब  सामान्य  मौत  से  नहीं ,बल्कि  खुद को  रसूल साबित   करने   की शर्त   के  कारण  मरे  थे  , जिस में वह  झूठे  साबित  निकले  और  लोग उनका साथ  छोड़ कर भाग  गए  . इस लेख में शिया  और सुन्नी किताबों  से  प्रमाण  लेकर  जो तथ्य  दिए गए हैं उन से इस्लाम और रसूलियत का असली  रूप  प्रकट  हो  जायेगा 

1-रसूलियत की परीक्षा
अबू हुरैरा ने कहा कि खैबर विजय  के बाद   कुछ  यहूदी  रसूल से  बहस   कर रहे थे ,उन्होंने एक  भेड़  पकायी जिसमे  जहर मिला  हुआ था ,   रसूल  ने पूछ   क्या तुम्हें  जहम्मम की आग से  डर  नहीं लगता  , यहूदी   बोले नही , क्योंकि  हम केवल थोड़े   दिन  ही  वहाँ  रखे   जायेंगे ,रसूल ने पूछा    हम कैसे माने कि तुम  सच्चे   हो  , यहूदी   बोले  हम जानना   चाहते कि तुम  सच्चे  हो या झूठे  हो , इस गोश्त में जहर  है  यदि  तुम सच्चे   नबी होगे  तो  तुम  पर जहर  का असर  नही होगा  , और अगर तुम झूठ होगे   तो  मर जाओगे  .
We wanted to know if you were a liar in which case we would get rid of you, and if you are a prophet then the poison would not harm you."

"‏ اخْسَئُوا فِيهَا، وَاللَّهِ لاَ نَخْلُفُكُمْ فِيهَا أَبَدًا ـ ثُمَّ قَالَ ـ هَلْ أَنْتُمْ صَادِقِيَّ عَنْ شَىْءٍ إِنْ سَأَلْتُكُمْ عَنْهُ ‏‏‏.‏ فَقَالُوا نَعَمْ يَا أَبَا الْقَاسِمِ‏.‏ قَالَ ‏"‏ هَلْ جَعَلْتُمْ فِي هَذِهِ الشَّاةِ سُمًّا ‏"‏‏.‏ قَالُوا نَعَمْ‏.‏ قَالَ ‏"‏ مَا حَمَلَكُمْ عَلَى ذَلِكَ ‏"‏‏.‏ قَالُوا أَرَدْنَا إِنْ كُنْتَ كَاذِبًا نَسْتَرِيحُ، وَإِنْ كُنْتَ نَبِيًّا لَمْ يَضُرَّكَ‏.‏
सही बुखारी  -जिल्द 4 किताब 53 हदीस 394

2-रसूल  की मौत का संकेत 

इब्ने  अब्बास  ने कहा कि  जब रसूल  सूरा नस्र 110 :1  पढ़ रहे थे , तो उनकी  जीभ लड़खड़ा रही  थी ,उमर  ने  कहा कि  यह रसूल  की मौत का संकेत  है ,अब्दुर रहमान ऑफ ने  कहा  मुझे  भी ऐसा प्रतीत  होता   है  कि यह रसूल कि  मौत  का संकेत   है ( That indicated the death of Allah's Messenger )

، قَالَ كَانَ عُمَرُ بْنُ الْخَطَّابِ ـ رضى الله عنه ـ يُدْنِي ابْنَ عَبَّاسٍ فَقَالَ لَهُ عَبْدُ الرَّحْمَنِ بْنُ عَوْفٍ إِنَّ لَنَا أَبْنَاءً مِثْلَهُ‏.‏ فَقَالَ إِنَّهُ مِنْ حَيْثُ تَعْلَمُ‏.‏ فَسَأَلَ عُمَرُ ابْنَ عَبَّاسٍ عَنْ هَذِهِ الآيَةِ ‏{‏إِذَا جَاءَ نَصْرُ اللَّهِ وَالْفَتْحُ‏}‏ فَقَالَ أَجَلُ رَسُولِ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم أَعْلَمَهُ إِيَّاهُ، فَقَالَ مَا أَعْلَمُ مِنْهَا إِلاَّ مَا تَعْلَمُ‏.‏

सही बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 713
3-कष्टदायी  मौत
आयशा ने   कहा कि  जब  रसूल  की  हालत   काफी  ख़राब   हो  गयी थी  ,तो मरने से  पहले  उन्होंने   कहा  था  ,कि  मैने  खैबर  में   जो  खाना  खाया था  ,उसमे   जहर  मिला था   , जिस से  काफी  कष्ट   हो रहा  है  ,ऐसा  लगता  है  कि मेरे  गले की  धमनी   कट  गयी   हो "I feel as if my aorta is being cut from that poison."

ـ كَانَ النَّبِيُّ صلى الله عليه وسلم يَقُولُ فِي مَرَضِهِ الَّذِي مَاتَ فِيهِ ‏ "‏ يَا عَائِشَةُ مَا أَزَالُ أَجِدُ أَلَمَ الطَّعَامِ الَّذِي أَكَلْتُ بِخَيْبَرَ، فَهَذَا أَوَانُ وَجَدْتُ انْقِطَاعَ أَبْهَرِي مِنْ ذَلِكَ السَّمِّ ‏"‏‏

सही बुखारी  -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 713

4-रसूल के साथियों   की  संख्या
मुहम्मद साहब  के साथियों  को "सहाबा -الصحابة‎ " यानी Companions  कहा  जाता है , सुन्नी  मान्यता  के अनुसार  यदि  जो भी व्यक्ति  जीवन भर में एक बार रसूल   को  देख  लेता  था  ,उसे  भी सहाबा  मान  लिया  जाता  था , मुहम्मद  साहब   की मृत्यु   के  समय मदीना  में ऐसे कई सहाबा  मौजूद थे ,इस्लामी  विद्वान्  "इब्ने हजर अस्कलानी - ابن حجر العسقلاني‎" ने  अपनी  किताब "अल इसाबा  फी तमीजे असहाबा - الإصابة في تمييز الصحابة" में  सहाबा  की   संख्या 12466  बतायी  है ,यानी  मुहम्मद  साहब    जब मरे तो  मदीना  में इतने  सहाबा  मौजूद  थे .जो सभी  मुसलमान  थे
5-रसूल के सहाबी स्वार्थी थे

मुहम्मद  साहब अपने जिन   सहाबियों   पर भरोसा  करते थे वह  स्वार्थी  थे  और  लूट  के लालच  में मुसलमान  बने थे , उन्हें  इस्लाम में  कोई रूचि  नहीं  थी ,वह सोचते  थे  कि  कब रसूल  मरें  और  हम  फिर से   पुराने धर्म   को अपना  ले ,यह बात  कई  हदीसों   में   दी  गयी   है , जैसे ,
इब्ने    मुसैब  ने कहा  अधिकाँश  सहाबा   आपके बाद  काफिर  हो  जायेंगे ,और इस्लाम छोड़  देंगे "
they turned APOSTATE as renegades (reverted from Islam"
يردُ عليَّ الحوض رجال من أصْحابي فيحلون عنه. فأقول يا ربِّ أصحابي، فيقول إنَّكَ لا علم لك بما أحدثوا بعدك. إنَّهم ارْتَدَّوا على أدبارهم القهقري.

सही बुखारी - जिल्द 8  किताब 76 हदीस 586

अबू हुरैरा  ने  कहा कि रसूल   ने  बताया   मेरे  बाद यह सहाबा इस्लाम  से विमुख  हो  जायेंगे और बिना चरवाहे  के ऊंट  की तरह  हो  जायंगे
"They turned apostate as renegades after I  left, who were like camels without a shepherd."

.‏ قُلْتُ مَا شَأْنُهُمْ قَالَ إِنَّهُمُ ارْتَدُّوا بَعْدَكَ عَلَى أَدْبَارِهِمُ الْقَهْقَرَى‏.‏ فَلاَ أُرَاهُ يَخْلُصُ مِنْهُمْ إِلاَّ مِثْلُ هَمَلِ النَّعَمِ ‏

सही बुखारी - जिल्द 8  किताब76  हदीस 587

असमा बिन्त अबू  बकर  ने रसूल  को  बताया  कि अल्लाह  की कसम  है , आपके बाद  यह सहाबा सरपट  दौड़  कर इस्लाम  से  निकल  जायंगे "
" ‘Did you notice what they did after you? By Allah, they kept on turning on their heels (turned away from  Islam"

، عَنْ أَسْمَاءَ بِنْتِ أَبِي بَكْرٍ ـ رضى الله عنهما ـ قَالَتْ قَالَ النَّبِيُّ صلى الله عليه وسلم ‏"‏ إِنِّي عَلَى الْحَوْضِ حَتَّى أَنْظُرُ مَنْ يَرِدُ عَلَىَّ مِنْكُمْ، وَسَيُؤْخَذُ نَاسٌ دُونِي فَأَقُولُ يَا رَبِّ مِنِّي وَمِنْ أُمَّتِي‏.‏ فَيُقَالُ هَلْ شَعَرْتَ مَا عَمِلُوا بَعْدَكَ وَاللَّهِ مَا بَرِحُوا يَرْجِعُونَ عَلَى أَعْقَابِهِمْ ‏"‏‏
सही बुखारी - जिल्द 8  किताब 76  हदीस 592

उक़बा बिन अमीर  ने  कहा  कि रसूल  ने  कहा  मुझे इस  बात   की चिंता  नहीं  कि मेरे  बाद  यह  लोग  मुश्रिक   हो जायेंगे ,मुझे तो इस  बात  का डर  है  कि यह  लोग दुनिया   की संपत्ति  की  लालच   में   पड़  जायंगे "
" By Allah! I am not afraid that you become polytheist after me, but I am afraid that they will start competing for, the pleasures and treasures of this world"
إنِّي و الله ما أخافُ عليكم أن تشركوا بعدي و لكني أخافُ عليكم أن تنافسوا فيها.

सही बुखारी - जिल्द  4 किताब 56 हदीस 79

6-सभी सहाबी काफिर  हो  गए

सहाबा   केवल जिहाद   में मिलने  वाले लूट  के  माल  के  लालच  में  मुसलमान  बने  थे ,जब  मुहम्मद  मर गए तो उनको लगा कि अब  लूट का  माल  नहीं मिलगा  , इसलिए वह इस्लाम  का चक्कर छोड़   कर  फिर  से पुराने  धर्म   में लौट  गए ,यह बात शिया  हदीस  रज्जल कशी ( رجال ‏الكشي   )  में   इस तरह    बयान  की  गयी  है  " रसूल  की  मौत  के बाद  सहाबा   सहित सभी   लोग  काफिर  हो  गए  थे ,सिवाय सलमान फ़ारसी ,मिक़दाद और  अबू जर   के ,  लोगों  ने  कहा   कि  हमने सोच  रखा था  अगर  रसूल  मर गए  या उनकी  हत्या   हो  गयी  तो  हम इस्लाम  से   फिर  जायेंगे
"All people (including the Sahaba) became apostates after the Prophet's death except for three." Al-Miqdad ibn Aswad, Abu Dharr (Zarr), and Salman (Al-Farsi,When asked  they   replied, ". 'If he (Muhammad) dies or is killed, we will  turn from Islam '

- أبو الحسن و أبو إسحاق حمدويه و إبراهيم ابنا نصير، قالا حدثنا محمد بن عثمان، عن حنان بن سدير، عن أبيه، عن أبي جعفر (عليه السلام) قال : كان الناس أهل الردة بعد النبي (صلى الله عليه وآله وسلم) إلا ثلاثة.

منهم سلمان الفارسي و المقداد و أبو ذر

(Rijal Al-Kashshi - رجال ‏الكشي  -      p.12-13

7-मौत  के बाद राजनीति
इतिहाकारों  के  अनुसार मुहम्मद साहब  की मौत 8  जून  सन 632  को  हुई  थी, खबर  मिलते  ही  मदीना  के अन्सार  एक  छत(Shed) के  नीचे  जमा  हो  गए , जिसे "सकीफ़ा -سقيفة  "   कहा  जाता   है ,उसी  समय  अबू बकर  ने मदीना  के   जिन कबीले  के सरदारों   को बुला   लिया  था ,उनके  नाम  यह  हैं , 1 . बनू औस -بنو أوس‎" 2 . बनू खजरज - بنو الخزرج‎"3 .  अन्सार -الأنصار‎ "4 .  मुहाजिर -: المهاجرون‎ " और 5 . बनू सायदा --  بني ساعدة‎   ". और अबू बकर खुद को  खलीफा   बनाने  के लिए    इन लोगों से समर्थन    प्राप्त  करने   में   व्यस्त   हो  गए ,लेकिन   जो लोग अली  के समर्थक थे   वह उनका  विरोध  करने  लगे  , इस से अबू बकर को   मुहम्मद  साहब   को दफ़न  करवाने   का    ध्यान    नहीं  रहा    .  और अंसारों   ने  खुद उनको  दफ़न  कर  दिया  . उसी  दिन  से शिआ  सुन्नी    अलग   हो  गए

8-अबू बकर मौत से अनजान

अबू बकर  अपनी   खिलाफत  की गद्दी  बचाने में इतने व्यस्त थे कि उनको इतना भी  होश  नहीं था  ,कि रसूल  कब मरे थे , और उनको कब दफ़न    किया  गया था  . यह  बात इस हदीस  से  पता  चलती  है , हिशाम  के  पिता ने  कहा  कि आयशा  ने  बताया जब  अबूबकर घर  आये तो , पूछा   , रसूल  कब मरे  और उन  ने  कौन से  कपडे  पहने हुए थे , आयशा ने  कहा  सोमवार   को , और सिर्फ  सफ़ेद सुहेलिया  पहने  हुए थे ,  ऊपर  कोई कमीज   और पगड़ी भी  नहीं थी , अबू बकर ने पूछा आज  कौन सा दिन   है  . आयशा बोली  मंगल  ,आयशा  ने पूछा   क्या  उनको  नए  कपडे  पहिना  दें  . ? अबू बकर बोले  नए कपड़े  ज़िंदा    लोग पहिनते  हैं  , यह  तो  मर  चुके  हैं  , और इनको  मरे  एक  दिन  हो  गया  . अब यह एक बेजान  लाश   है

ائِشَةَ ـ رضى الله عنها ـ قَالَتْ دَخَلْتُ عَلَى أَبِي بَكْرٍ ـ رضى الله عنه ـ فَقَالَ فِي كَمْ كَفَّنْتُمُ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم قَالَتْ فِي ثَلاَثَةِ أَثْوَابٍ بِيضٍ سَحُولِيَّةٍ، لَيْسَ فِيهَا قَمِيصٌ وَلاَ عِمَامَةٌ‏.‏ وَقَالَ لَهَا فِي أَىِّ يَوْمٍ تُوُفِّيَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم قَالَتْ يَوْمَ الاِثْنَيْنِ‏.‏ قَالَ فَأَىُّ يَوْمٍ هَذَا قَالَتْ يَوْمُ الاِثْنَيْنِ‏.‏ قَالَ أَرْجُو فِيمَا بَيْنِي وَبَيْنَ اللَّيْلِ‏.‏ فَنَظَرَ إِلَى ثَوْبٍ عَلَيْهِ كَانَ يُمَرَّضُ فِيهِ، بِهِ رَدْعٌ مِنْ زَعْفَرَانٍ فَقَالَ اغْسِلُوا ثَوْبِي هَذَا، وَزِيدُوا عَلَيْهِ ثَوْبَيْنِ فَكَفِّنُونِي فِيهَا‏.‏ قُلْتُ إِنَّ هَذَا خَلَقٌ‏.‏ قَالَ إِنَّ الْحَىَّ أَحَقُّ بِالْجَدِيدِ مِنَ الْمَيِّتِ، إِنَّمَا هُوَ لِلْمُهْلَةِ‏.‏ فَلَمْ يُتَوَفَّ حَتَّى أَمْسَى مِنْ لَيْلَةِ الثُّلاَثَاءِ وَدُفِنَ قَبْلَ أَنْ يُصْبِحَ‏.‏

सही बुखारी -जिल्द 2 किताब 23 हदीस 469

विचार करने की  बात  है  कि अगर अबू बकर रसूल  के दफ़न  के समय मौजूद   थे ,तो उनको रसूल के कपड़ों  और  दफन करने वालों    के बारे में  सवाल  करने की    क्या  जरूरत    थी ? वास्तव   में अबू बकर  जानबूझ   कर  दफ़न    में नहीं   गए ,   यह  बात  कई सुन्नी  हदीसों   में   मौजूद   हैं
9-अबूबकर और उमर  अनुपस्थित

ऎसी   ही एक हदीस है  ", इब्ने नुमैर  ने   कहा  मेरे पिता उरवा ने बताया कि अबू बकर और उमर  रसूल के जनाजे में  नही  गए ,रसूल  को अंसारों  ने दफ़न    किया  था   . और जब अबू  बकर और उमर उस  जगह  गए  थे तब तक अन्सार  रसूल  को दफ़न  कर के  जा चुके थे इन्होने रसूल  का जनाजा नहीं  देखा   . ,"

  حدثنا ابن نمير عن هشام بن عروة عن أبيه أن أبا بكر وعمر لم يشهدا دفن النبي (ص) ، كانا في الانصار فدفن قبل أن يرجعا.

Ibn Numair narrated form Hisham bin Urwah who narrated from his father (Urwa) that Abu Bakr and Umar were not present at the time of burial of the Prophet (s), they were with Ansar and He was buried before they had returned.

، فَقَالُوا‏:‏ انْطَلِقْ بِنَا إِلَى إِخْوانِنَا مِنَ الأَنْصَارِ نُدْخِلُهُمْ مَعَنَا فِي هَذَا الأَمْرِ، فَقَالَتِ الأَنْصَارُ‏:‏ مِنَّا أَمِيرٌ وَمِنْكُمْ أَمِيرٌ، فَقَالَ عُمَرُ بْنُ الْخَطَّابِ‏:‏ مَنْ لَهُ مِثْلُ هَذِهِ الثَّلاثِ ثَانِيَ اثْنَيْنِ إِذْ هُمَا فِي الْغَارِ إِذْ يَقُولُ لِصَاحِبِهِ لا تَحْزَنْ إِنَّ اللَّهَ مَعَنَا مَنْ هُمَا‏؟‏ قَالَ‏:‏ ثُمَّ بَسَطَ يَدَهُ فَبَايَعَهُ وَبَايَعَهُ النَّاسُ بَيْعَةً حَسَنَةً جَمِيلَةً

Shama'il Muhammadiyah-الشمائل المحمدية
English referenceBook 53, Hadith 379
Arabic referencBook 54, Hadith 396

इमाम इब्ने हजर  ने  असली  कारण बताते हुए  दर्ज  किया  कि अबू बकर  उस समय " बैय -بَيْعَة,  "   यानी सौदेबाजी   कर रहा  था  , इसलिए रसूल  के जनाजे में नहीं  गया  .
‘He (Abu Bakar) didn’t attend (the funeral) because he was busy with Baya’

لأنه لم يحضر ذلك لاشتغاله بأمر البيعة

Bay'ah (Arabic: بَيْعَة, literally a "sale" or a "commercial transaction")

Al-Musnaf Ibn Abi Shaybah Volume 8 page 58

Kanz ul Umal, Volume 5 page 45 Hadith 14139

Mull Ali Qari in Sharra Fiqa Akbar, page 175 (publishers Muhammad Saeed and son, Qur'an Muhall, Karachi)

10-आयशा दफ़न से अनजान  थी

मुसलमानों के लिए इस से   बड़ी शर्म  की  बात  और कौन सी  होगी कि   रसूल  कि प्यारी पत्नी आयशा  को  भी रसूल  के दफ़न  की  जानकारी  नही थी   , इमाम अब्दुल बर्र  ने अपनी  किताब  इस्तियाब  में  लिखा है "आयशा  ने  कहा मुझे पता  नहीं कि रसूल  को कब और कहाँ दफ़न  किया गया , मुझे तो बुधवार  के सवेरे उस  वक्त  पता  चला  ,जब रात को कुदालों   की आवाजे  हो रही थी.

Ayesha said: ‘We didn’t know about Allah's Messenger’s burial except when we heard the voice of shovels at Wednesday night, Ali, Abbas may Allah be pleased with them and Bani Hashim prayed over him.’

ذكر إبن إسحاق قال حدثتني فاطمة بنت محمد عن عمرة عن عائشة قالت ما علمنا بدفن رسول الله صلى الله عليه وسلم حتى سمعنا صوت المساحي من جوف الليل ليلة الأربعاء وصلى عليه علي والعباس رضى الله عنهما وبنو هاشم

Ibn Abdul Barr records in al-Istiab:

http://www.shiapen.com/comprehensive/saqifa/burial-of-the-prophet.html

11-रसूल  के दफ़न  में लापरवाही
अनस बिन  मलिक  ने कहा  कि  जब रसूल  की बेटी फातिमा   को रसूल  की कब्र  बतायी  गयी  तो उसने  देखा  कि कब्र  खुली  हुई  है ,तब फातिमा ने  अनस  से   कहा  तुम मेहरबानी  कर  के  कब्र  पर  मिट्टी   डाल  दो  .
"Fatima said, "O Anas! Do you feel pleased to throw earth over Allah's Messenger"

".‏ فَلَمَّا دُفِنَ قَالَتْ فَاطِمَةُ ـ عَلَيْهَا السَّلاَمُ ـ يَا أَنَسُ، أَطَابَتْ أَنْفُسُكُمْ أَنْ تَحْثُوا عَلَى رَسُولِ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم

सही  बुखारी -जिल्द 5 किताब 59  हदीस 739

इन सभी तथ्यों  से  यही निष्कर्ष  निकलते  हैं  कि ,खुद को अवतार ,सिद्ध  बताने वाले और झूठे  दावे करने वाले खुद ही अपने  जाल  में फस कर मुहम्मद  साहब    की  तरह कष्टदायी  मौत  मरते   हैं ,और जब ऐसे फर्जी   नबियों  और रसूलों   की  पोल खुल  जाती  है  ,तो उनके  मतलबी  साथी ,रिश्तेदार  ,यहाँ  तक  पत्नी   भी साथ  नहीं    देती   . यही  नहीं   किसी   भी धर्म  के  अनुयाइयो    की अधिक  संख्या   हो  जाने  पर  वह  धर्म  सच्चा  नहीं    माना  जा  सकता   है ,झूठ और पाखण्ड   का   एक न एक दिन  ईसी  तरह  भंडा  फूट   जाता   है  . केवल हमें सावधान  रहने   की  जरूरत   है।

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